Tuesday, April 24, 2007

ये हैं रेडियो सीलोन वाले मनोहर महाजन ( पुन:संशोधित )








रेडियो के सुधी श्रोता मनोहर महाजन के नाम से तो वाकिफ होंगे ही । वो रेडियो सीलोन की एक बुलंद आवाज़ रहे हैं । जिस ज़माने में रेडियो सीलोन अपने पूरी शबाब पर हुआ करता था, यानी विविध भारती के आने से पहले—तब गोपाल शर्मा, मनोहर महाजन, मोना अलवी, शिवकुमार सरोज जैसे रेडियो सीलोन के उद्घोषक स्‍टार हुआ करते थे । इनमें सबसे ऊपर थे ‘बिनाका गीत माला’ पेश करने वाले अमीन सायानी साहब । बहरहाल, मुद्दे की बात ये है कि मनोहर महाजन जबलपुर के रहने वाले हैं । जबलपुर से रेडियो सीलोन और फिर वापस मुंबई तक का सफर उन्‍होंने कैसे तय किया, ये जल्‍दी ही अपने किसी चिट्ठे में । पर फिलहाल आप सभी के लिये मनोहर महाजन जी की ताज़ा तस्‍वीरें । आपका ये दोस्‍त उन्‍हें चाचा कहता है । और विविध भारती में आने के बाद मैंने उनका पता ठिकाना खोजकर खुद उनके निवास पर ही मुलाक़ात की थी । तब से अकसर भेंट होती है और खुल जाता है किस्‍सों का पिटारा । बेहद दिलचस्‍प शख्सियत हैं मनोहर जी । आज वो विविध भारती आये थे हमारे नये कैजुअल अनाउंसरों को ‘बोलना’ सिखाने के लिए । तो मैंने अपने मोबाईल कैमेरे का सदुपयोग करते हुए उनकी ये तस्‍वीरें खींच डालीं । ताकि आप सभी उन्‍हें देख पायें । अकसर रेडियो के उद्घोषकों की आवाज़ें तो सभी सुनते हैं पर उनकी शख्सियत से वाकिफ नहीं हो पाते । कई मित्रों का अनुरोध है कि अपने तमाम साथियों की तस्‍वीरें भी प्रस्‍तुत करूं । फिलहाल तो देखिये मेरे मनोहर चाचा और आपके प्रिय उद्घोषक मनोहर महाजन की तस्‍वीरें । अपनी राय से अवगत कराईयेगा ।




मुझे अंदाज़ा नहीं था कि इस चिट्ठे में आज ही संशोधन करना होगा । दरअसल आज सबेरे की शिफ्ट करने के बाद जब मनोहर महाजन जी से मिलकर और गप्‍पें करके घर लौटा और फौरन ये चिट्ठा पोस्‍ट किया तभी पीछे पीछे फोन आ गया, हमें मनोहर महाजन का एक लंबा इंटरव्यू करना है, फौरन चले आईये । दोबारा दफ्तर लौटना पड़ा, और फिर शुरू हुआ मनोहर चाचा से ऑफ रिकॉर्ड और ऑन रिकॉर्ड अनगिनत बातों का दौर । इस दौरान उनकी एक नई तस्‍वीर भी ले डाली । वो भी पेश कर रहा हूं । ये इंटरव्यू जल्‍दी ही विविध भारती पर प्रसारित होगा । जिसकी सूचना आपको ज़रूर दूंगा ।
पिछले दिनों महाजन जी को पैंक्रियास का इंफेक्‍शन हो गया था, लंबी अस्‍वस्‍थता के बाद अब फिर कामकाज कर रहे हैं ।

भाई रवि रतलामी ने पूछा है कि क्‍या पुराने कार्यक्रम दोबारा सुनवाये जा सकते हैं । जवाब ये है कि ऐजेन्सियों ने ये कार्यक्रम तैयार किये और उनके अधिकार उनके ही पास हैं । आप सभी को अफसोस होगा कि उनकी प्रतियां तक ऐजेन्सियों के पास नहीं । बस अमीन सायानी साहब के पास अपने कई पुराने कार्यक्रम मौजूद हैं और उन्‍होंने संभाल कर रखे हैं । हैदराबाद की अन्‍नपूर्णा जी मेरी सुधी श्रोता हैं, उन्‍हें बचपन याद आ गया, ये हर्ष का विषय है । मेरी इच्‍छा तो बस ये थी कि आप सभी आवाज़ की दुनिया की इस वरिष्‍ठ हस्‍ती से वाकिफ हो पायें । क्‍योंकि आवाज़ें परदे के पीछे ही बनी रहती हैं । उनके चेहरों को बहुत कम लोग जानते हैं ।

आज महाजन जी ने भी बताया कि उनके पास भी कई पुराने कार्यक्रमों के अंश मौजूद हैं । मैं उनकी जबलपुर से रेडियो सीलोन जाने और मुंबई आने की कहानी भी लिखना चाहता हूं । पर फिलहाल समयाभाव है ।
जल्‍दी ही लिखकर पेश करूंगा । उनका फोन नंबर तो आपको दे नहीं सकता, सुधी श्रोताओं को उन तक अपने मन की बात पहुंचाने के लिये ई मेल पता दे रहा हूं---
manoharfmahajan@rediffmail.com
कृपया सुविधा के लिए ये रिफरेन्‍स अवश्‍य लिखें ताकि उन्‍हें इस संपर्क सूत्र का स्‍त्रोत पता चले, वरना वे स्‍वयं चक्‍कर में पड़ जायेंगे कि आखिर ये ई मेल पता इतना प्रचारित कैसे हो गया ।

अब sms के ज़रिए पाईये ताज़ा पोस्‍ट की जानकारी

9 टिप्‍पणियां:

Anonymous,  April 24, 2007 at 9:22 PM  

Yunus Ji

Kis muh se aap ko shukriya kahun aapne mera bachpan yaad dila diya. Jin ki aawaz sunte suve bachpan guzaraa sirf ghar main hi nahi muhalle main bhi. Hum Hyderabad ke purane shahar main rahate the. Etihaasik Imaarat Chaarminaar se 10 min. ki doori per ghar tha. subah muhalle main shahar ki sabhi dukaanon per Aap hi geet bajathe jaisa ki aap jaanathe hai purane shahron ka mahole. Ghar baahar goonjathi awaz Manohar jee, Vijaylaxmi jee aur shashi jee ki. ho sake tho in dono ki tasveeren bhi bhaje.

Shubhkaamnovon sahit
Ssneh
annapurna

शशि सिंह,  April 24, 2007 at 9:31 PM  

बहुत खुब युनुस सा'ब...

रू-ब-रू कराते रहिये ऐसे नगीनों से।


आपकी कोशिश के लिए साधुवाद

mahashakti April 24, 2007 at 10:20 PM  

आदरणीय यूनुश भाई,

आपकी यह प्रस्‍तुति बहुत ही अच्‍छी लगी, आपका यह चिठ्ठा अपने आप मे बहुत ही अलग है। आपकी ऐसी पोस्‍ट पढ़ने के लिये सदा आने की इच्‍छा करती है।

मनोहर चाचा के बारे मे बताने और और उनके दर्शन कराने की धन्‍यवाद।

अगली कड़ी की प्रतीक्षा मे

शैलेश भारतवासी April 24, 2007 at 11:35 PM  

यूनुस भाई,

मनोहर जी को सुना तो नहीं है, मगर हाँ अमीन सयानी जी से (सिबाका और विनाका दोनों गीतमालाओं में) अपने इनका नाम अवश्य सुना है, क्योंकि अमीन जी अपने साथी उद्‌घोषकों की भी खूब तारीफ़ करते थे।

महाशक्ति जी ने ठीक ही कहा है कि आपका ब्लॉग औरों से अलग है। आपको बधाइयाँ!

Debashish April 24, 2007 at 11:50 PM  

मनोहर जी की आवाज़ के जादू के तो हम सब दीवाने हैं। मुझे याद है जब मैं छोटा था तब विविध भारती पर "मोदी के मतवाले राही" में पहली बार मैंने उनकी आवाज़ सुनी थी।

Raviratlami April 25, 2007 at 12:36 AM  

मनोहर जी आजकल किसी रेडियो प्रोग्राम में नहीं आते हैं क्या? उनकी आवाज को सुने तो बरसों हो गए...

क्या पुराने प्रायोजित कार्यक्रमों को फिर से री-रन करने की कोई योजना बनाई जा सकती है? नई पीढ़ी मनोहर जी को शायद ऐसे ही सुन सकें...

Manish Kumar April 25, 2007 at 7:40 AM  

मनोहर जी से मुलाकात कराने का शुक्रिया । उनकी आवाज की झलक भी ब्लॉग पर सुनवा देते तो आनंद आ जाता ।

Suresh Chiplunkar April 27, 2007 at 9:13 PM  

बहुत खूब युनुस भाई,
मैं तो बहुत देर से इस पोस्ट को पढ पाया (मन्ना दा की पोस्ट के बाद) लेकिन इसने मुझे बहुत सी यादों की गलियों से गुजार दिया...ऐसे ही और भी लोग हैं जो माइक और कैमरे के पीछे रहते हैं, लेकिन हम उनके फ़ैन हैं उनसे भी मिलवाने की कोशिश कीजियेगा, आपके लिये यह सम्भव इसलिये है क्योंकि आप उस लाईन से जुडे हुए हैं..लगे रहो यूनुस भाई...

kamal sharma April 28, 2007 at 9:09 AM  

yunus bhai
dhanyavaad. manohar mahajan ji ke baare mein padh kar dil khush ho gaya mein bhi unka bahut purana shrota aur fan raha hun from cylone radio.baad mein santogen ki mehfil jo vividh bharati se broadcast hoti thi wo bhi bade chav se sunta tha.haan baad mein jab voice association ka member bana toh unhe karib se dekha suna jana. he is simply owner of gr8 voice.
mere pasandida announcers ..brij bhushan ji kamal sharmaji,amin sayani,brij bhushan sahni aur aap. in sab ke baare mein bhi likhiye.

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संगीत का ब्‍लॉग । मुख्‍य-रूप से हिंदी-संगीत । संगीत दिलों को जोड़ता है । संगीत की कोई सरहद नहीं होती ।

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