कौन रंग मुंगवा कौन रंग मोतिया, कवन रंग ननदी-आईये रामकैलाश यादव को सुनें
रेडियोवाणी संगीत का मंच है ।
रेडियोवाणी पर लोकगीतों को ख़ास स्नेह की दृष्टि से देखा जाता रहा है । समय समय पर मैंने आपको कई लोकगीत सुनवाए हैं । और जैसे जैसे लोकगीत उपलब्ध होते जायेंगे रेडियोवाणी पर आप लगातार उन्हें सुन सकेंगे । आज जो लोकगीत सुनवाया जा रहा है वो अद्भुत है, मज़ेदार है । और सबसे अच्छी बात ये है कि ये हमें अपनी जड़ों की ओर लौटा ले जाता है । लगातार शहरी होते भारत में गांवों के ठेठपन की ओर लौटाता है ये लोकगीत । और इसीलिए ये लोकगीत हमारे मन के क़रीब है । राम कैलाश यादव मशहूर लोक-गायक हैं । संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित हैं । और देश-दुनिया में उनके गाए लोकगीतों पर लोग बड़े मोहित रहते हैं । आईये हम भी आनंद लें रामकैलाश जी की आवाज़ का और इस लोकगीत की उंगली पकड़ कर लौट जाएं अपने गांव-गलियों की ओर ।
बताईये कैसा लगा आपको ये लोकगीत सुनकर ।
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5 टिप्पणियां:
मैंने राम कैलाश को आमने-सामने सुना है कैलाश गौतम जी के स्नेह से।
भाई
राम कैलाश कहीं से भी भोजपुरी के गायक नहीं है....यह खाँटी अवधी है कृपया इसे सुधार लें...हर लोक भाषा भोजपुरी नहीं होती।
यह मेरे अवध की अवधी है।
अच्छी प्रस्तुति
बदायुनी कब....सुना रहे हैं....। मन्ना डे कहाँ हैं...मधुकर राजस्थानी वाले
मिट्टी के सौंधी खु़शबू में भीगी इस प्रस्तुति से युनूस भाई विविध भारती से प्रसारित होने वाले लोक-संगीत कार्यक्रम की याद आ गई...कितने बरसों तक दोपहर तीन बजे बजता रहा वह कार्यक्रम. हमारे देश की सतरंगी तहज़ीब का परचम था वह कार्यक्रम. फ़िर शुरू करवाइये न उसे.
अरे इ त हमरे गाँव क गीत बा!
बहुत सुन्दर!
बहुत सुंदर, नि:संदेह प्रसन्श्नीय है......!
मरती हुई लोक गायकी को बचाने के आख़िरी प्रयास. बधाई.
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