Wednesday, October 10, 2007

क्‍या फिल्‍म 'सांवरिया' का शीर्षक गीत जॉर्ज माईकल के 'फेथ' से प्रेरित है ।

हिंदी फिल्‍म संगीत की दुनिया में पश्चिम से गाने उठाने की परंपरा और इससे जुड़ी कई कहानियां प्रचलित रही हैं । अकसर हम एक दूसरे से ये कहते पाये जाते हैं कि फलां गाना वहां से उठाया और फलां गाना यहां से उठाया गया । मुंबई से प्रकाशित होने वाले टेबलॉयड मिड डे ने इन दिनों एक ताज़ा दावा किया है । इस अखबार के प्रतिनिधि तुषार जोशी ने याद दिलाया है कि फिल्‍म सांवरिया का टाईटल ट्रैक जॉर्ज माईकल के मशहूर गीत 'फेथ'(FAITH) से काफी 'मिलता-जुलता' है । आपको याद होगा कि जॉर्ज माईकल (gerge michael) का ये गीत सन 1987 में आया था ।



इस मुद्दे पर रेडियोवाणी पर मैं कोई टिप्‍पणी नहीं कर रहा, हां दोनों गाने आपके सामने पेश किये जा रहे हैं ।
स‍ुनिए और फैसला कीजिए ।

ये रहा जॉर्ज माईकल के मशहूर गीत फेथ का वीडियो ।



और ये है 'फेथ' का ऑडियो

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और सांवरिया का शीर्षक गीत यहां सुना जा सकता है ।
एक लिस्‍ट खुलेगी, जिसमें सबसे नीचे है सांवरिया का टाईटल ट्रैक । उसे सिलेक्‍ट कीजिए और 'प्‍ले सिलेक्‍टेड' पर क्लिक कीजिए ।

और हां अपनी प्रतिक्रिया, ख्‍याल, विचार ज़रूर बताईये ।
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8 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari October 10, 2007 at 3:39 PM  

चलो, हम भी आपकी तरह फैसला नहीं लेते जबकि काफी मिलता जुलता लग रहा है. मगर आगे इन्डस्ट्री से जुड़ने का ख्वाब है तो क्या कहें. हम खुद ये ही करेंगे..ऐसा लगता है. :) हा हा!!!

--जबलपुर नहीं गये क्या मित्र???

सजीव सारथी October 10, 2007 at 5:03 PM  

यूनुस भाई कमाल करते हैं आप, industri वाले इस नक़ल नही प्रेरणा कहते हैं ... बहुत भोले हैं आप

Parul October 10, 2007 at 5:13 PM  

बन्दिशें अक्सर ,सात स्वरों की परिधि मे आपस मे टकरा ही जाती हैं …मगर यहाँ दोनो धुनें काफ़ी हद तक एक सी हैं ।

ज्ञानदत्त पाण्डेय | Gyandutt Pandey October 10, 2007 at 6:34 PM  

यूनुस, मेरी कुछ पोस्टों पर टिप्पणी में लोग यह भी विकल्प प्रयोग करते हैं - "ऊपर से निकल गयी।"
वही विकल्प मैं अपनी गीत-संगीत की अल्पज्ञता के कारण यहां प्रयोग कर रहा हूं। :-)

Rajendra,  October 10, 2007 at 6:44 PM  

बम्बई में ऐसी चोरियाँ आम हैं. यकीन नहीं हो तो iftwofs.com पर जायें और देखें.

Anonymous,  October 10, 2007 at 9:43 PM  

जनाब यूनुस साहब,
कल आपने ‘लोग औरत को फक़्त् जिस्म समझ लेते हैं’’शीर्षक के साथ जो तस्वीर छापी थी मेरी जानकारी के अनुसार वह तस्वीर फिल्म ‘’जोशीला’’ के एक गीत ‘’किसका रास्ता देखें, ऐ दिल ऐ शैदाई’’ की रिकार्डिंग के वक़्त की थी. इस फिल्म के निर्माता थे गुलशन राय और निर्देशक हैं यश चोप्ड़ा.. यश जी बाहर की फिल्में नहीं करते हैं मगर यह एक अपवाद है. निर्माता गुलशन राय फिल्म निर्माता और वितरक होने के अलावा फिल्म फायनेंसर भी थे और यश जी के करीबी मित्रों में से थे. यश जी ने शायद यह फिल्म इसलिए की थी क्योंकि सत्तर के दसक में जब वे मतभेद के चलते अपने भाई बी.आर.चोपड़ा से अलग हुए और अपने बैनर यशराज के अंतर्गत पहली फिल्म ‘’दाग’’ (कलाकार-राजेश खन्ना,शर्मिला टैगोर और राखी) बनायी तो कहते हैं कि गुलशन राय ने उस फिल्म को फायनेंस की थी. गुलशन राय ‘गुप्त’’ निर्देशक राजीव राय के पिता थे.
‘’जोशीला’’ का यह गीत् किशोर दा ने गाया है और देव आनन्द फिल्म के नायक हैं. नायिका हैं हेमा मालिनी. गीत साहिर का था और संगीत पंचम दा यानी अर.डी.बर्मन का. एक बात और, मैं प्राय;आपका ब्लॉग देखता हूं. प्रयास सराहनीय है. बधाई..

yunus October 11, 2007 at 2:43 PM  

बेनाम जी, शुक्रिया । अपने नाम के साथ लिखते तो आनंद और ज्‍यादा आता ।

Manish Kumar October 11, 2007 at 10:09 PM  

यूनुस भाई ये तो हर साल होता है और एक आध संगीत निर्देशक को छोड़ कर शायद ही कोई इन आरोपों से बच पाया है। लगे रहो मुन्ना भाई का पल पल हो या गैंगस्टर का या अली..या फिर लमहा लमहा या फिर आज नींद कम ख्वाब ज्यादा हैं..सबकी धुनें किसी प्रेरणा के तहत कहीं ना कहीं से लीं हुई हैं।

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संगीत का ब्‍लॉग । मुख्‍य-रूप से हिंदी-संगीत । संगीत दिलों को जोड़ता है । संगीत की कोई सरहद नहीं होती ।

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