Monday, November 26, 2007

जिंदगी को संवारना होगा, दिल में सूरज उतारना होगा--फिर आलाप, फिर येसुदास

कल मैंने रेडियोवाणी पर येसुदास का गाया और डॉ0 हरवंशराय बच्‍चन का लिखा गीत प्रस्‍तुत किया था । अफलातून जी की टिप्‍पणी आई कि फिल्‍म आलाप के और गीत सुनवाए जाये । मेरी खुद की इच्‍छा यही थी कि इस फिल्‍म के कुछ और गीतों का सिलसिला चलाया  जाए ।

आपको ये जानकर हैरत होगी कि आलाप के ज्‍यादातर गीत डॉ0 राही मासूम रज़ा ने लिखे थे । इतनी शुद्ध हिंदी और इतना लालित्‍य कि क्‍या कहें । राही साहब की कलम से निकले कुछ अनमोल गीतों में से हैं ये गीत । राही की कुछ ग़ज़लें आप रेडियो

वाणी पर पहले भी सुन चुके हैं ।

तो आईये आज सुना जाये ये गीत । जो सुबह सुबह प्रेरणा देने का काम भी करेगा । और शायद आप दिन भर यही गुनगुनाएं--जिंदगी को संवारना होगा, दिल में सूरज उतारना होगा ।

ये जो 'दिल में सूरज उतारने' वाली बात है इस पर हमारा दिल आ गया है । येसुदास की गाढ़ी और शहद जैसी आवाज़ अंतरतम की गहराईयों में छा जाती है । एक खुश्‍बू सी बिखेर देती है ।

मैं सोच रहा हूं कि रेडियोवाणी पर अगले कुछ दिन येसुदास के गीतों के नाम कर दिये जायें । आपकी क्‍या राय है । इस गीत के ज़रिए हम संगीतकार जयदेव की प्रतिभा को भी सलाम कर रहे हैं । कमाल का संगीत दिया है उन्‍होंने इस फिल्‍म में । तो आईये इस गीत के ज़रिए जिंदगी को संवारें ।

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जिंदगी को संवारना होगा 

दिल में सूरज उतारना होगा ।।

 

जिंदगी रात नहीं, रात की तस्‍वीर नहीं

जिंदगी सिर्फ़ किसी ज़ुल्‍फ़ की ज़ंजीर नहीं

जिंदगी बस कोई बिगड़ी कोई तस्‍वीर नहीं

जिंदगी को संवारना होगा ।।

जिंदगी धूप नहीं, साया-ऐ-दीवार भी है

जिंदगी धार नहीं, जिंदगी दिलदार भी है

जिंदगी प्‍यार भी है प्‍यार का इक्ररार भी है

जिंदगी को उभारना होगा ।।

जिंदगी को संवारना होगा ।।

इंतज़ार कीजिए कल का । कल आपको सुनवाया जायेगा 'फिर भी' फिल्‍म का एक शानदार और दुर्लभ गीत ।

अब sms के ज़रिए पाईये ताज़ा पोस्‍ट की जानकारी

9 टिप्‍पणियां:

ज्ञानदत्त पाण्डेय | Gyandutt Pandey November 26, 2007 at 2:30 PM  

अप्रतिम! बहुत सुन्दर। बहुत मधुर। सवेरे सवेरे सुनना अलौलिक हो गया कुछ!

सजीव सारथी November 26, 2007 at 3:46 PM  

क्या बात है, अफलातून जी का आभार जिनकी फरमाईश आपने यह गीत सुनवाया, चलिए येशुदास के कुछ और गीतों का भी रहेगा इंतज़ार, "का करूँ सजनी", " जब दीप जले आना", और "मधुबन खुशबू..."

डॉ. अजीत कुमार November 26, 2007 at 4:53 PM  

यूनुस भाई, आपने तो मेरे मुंह की बात छीन ली.येसुदास जी पर श्रृंखला शुरू करने की बात मैं आपको कल ही कहने वाला था पर ये सोच कर रुक गया कि शायद आप बच्चन जी पर आधारित कडी शुरू कर रहे हैं. खैर जो भी हो अब तो मैं अपने प्रिय गायक से आपके जरिये मिल ही सकूंगा.
बहरहाल, आलाप फ़िल्म की इस खूबसूरत रचना के लिए धन्यवाद.. येसुदास जी ने क्या आलाप लिया है शुरुआत में !

annapurna November 26, 2007 at 6:08 PM  

हो सके तो यसुदास का ये युगल गीत भी सुनवाइए जिसमें सहगायिका शायद सुजाता है या हेमलता है -

नीर भरन का कर के बहाना
मेरे लिए ज़रा बोझ उठाना
राधा रे राधा जमुना किनारे आना रे

ये गीत राज्यश्री प्रोडक्शन्स की फ़िल्म गोपाल्कृष्णा का है।

Parul November 26, 2007 at 7:13 PM  

पहली बार सुना ये गीत्….बेहद खूबसूरत॥..…॥आभार सुनवाने का,यूनुस जी यसुदास का-"नी,सा ग म पनी सा रे ,आ आरे मितवा," हो सके तो सुनवा दें ।

PIYUSH MEHTA-SURAT November 26, 2007 at 10:09 PM  

श्री येसुदास आज जोर-(या शोर ?) से चल रहे या व्यापारी रीत-रसम से चलते दिख रहे कई गायको से बहोत उँच्च कक्षा पर जहाँ तक़ गुणवत्ता का सवाल है, थे । यह उनकी गायिकी का सही सन्मान होगा । एक और नाम भी मैं बताना चाहता हूँ, गायक श्री अमीत कुमारजी, जो आज भी चलते तो है, पर जितने योग्य है इतने नहीं । तब कभी उनके नाम भी कुछ पोस्ट कर दिजीये ।

हर्षवर्धन November 29, 2007 at 2:20 PM  

येसुदास की अपनी अलग खूबसूरत शैली है। उनके गीतों की पूरी श्रंखला हमें सुनाइए। एक बार में भी दमोह गया हूं। लेकिन, बहुत पहले।

Shirish November 29, 2007 at 5:31 PM  

यूनुस भाई,
येसुदास की आवाज़ सुनने का मज़ा कुछ और ही है | इस अलग अंदाज़ वाले गायक का एक गाना याद आ रहा है -- ज़िंदगी है ज़िंदगी/ज़िंदगी से खेलो ना (फिल्म: शर्त) | आजकल के हालात में बहुत अर्थपूर्ण है यह गीत |
कृपया सुनाएं |

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संगीत का ब्‍लॉग । मुख्‍य-रूप से हिंदी-संगीत । संगीत दिलों को जोड़ता है । संगीत की कोई सरहद नहीं होती ।

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