Saturday, November 10, 2007

गाईये गणपति जगवंदन--जगजीत सिंह, अहमद हुसैन और राजन साजन मिश्र की आवाज़ें


ये तो आप जानते ही हैं कि रेडियोवाणी पर फ़रमाईशें भी पूरी की जाती हैं ।
दीपावली पर जब मैंने शुभा मुदगल के गीत सुनवाए तो ज्ञान जी ने कहा कि क्‍या 'गाईये गणपति जगवंदन' कहीं उपलब्‍ध हो सकता है । खोजा तो इसके कुछ संस्‍करण आसानी से मिल गए ।

तो आईये दीपावली के बाद नववर्ष का आरंभ गणपति की वंदना से ही किया जाए ।
गाईये गणपति जगवंदन--इस रचना को असंख्‍य कलाकारों ने गाया है । लेकिन आज हम तीन अनमोल आवाज़ों में इस भजन को सुनेंगे । तीनों ही संस्‍करणों का कोई मुक़ाबला नहीं है । तीनों अपने आप में कमाल हैं ।

पहले इसकी इबारत पढि़ये ।

गाइये गनपति जगबंदन ।

संकर\-सुवन भवानी नंदन ॥ १ ॥
सिद्धि\-सदन, गज बदन, बिनायक ।
कृपा\-सिंधु,सुंदर सब\-लायक ॥ २ ॥
मोदक\-प्रिय, मुद\-मंगल\-दाता ।

बिद्या\-बारिधि,बुद्धि बिधाता ॥ ३ ॥
माँगत तुलसिदास कर जोरे ।
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥ ४ ॥



अब इसे सुनिए जगजीत सिंह के स्‍वर में । जगजीत ग़ज़ल गाते हैं तो उनकी आवाज़ में गुलाबीपन नज़र आता है ।
पर जब वो भक्तिरस में डूबते हैं तो उनकी आवाज़ में आध्‍यात्मिकता का रंग बड़ा ही गहरा हो जाता है । उनकी आवाज़ के 'ग्रेन्‍स' उभर आते हैं । वो मंदिर में कीर्तन कर रहे एक वीतरागी साधु बन जाते हैं ।

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ये है अहमद हुसैन मोहम्‍मद हुसैन की आवाज़ । थोड़ा सरप्राईजिंग लगता है ना । ग़ज़लों की दुनिया की मशहूर जोड़ी और भजन ? पर ये सच है । अहमद हुसैन मोहम्‍मद हुसैन ने कुछ भजन भी गाए हैं । लंबे समय से ये भजन इन आवाज़ों में मुझे प्रिय रहा है । आईये इसे सुनें । इसकी साउंड क्‍वालिटी संभवत: उतनी अच्‍छी नहीं जितनी बाक़ी दो आवाजों की है ।

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और ये आवाज़ें हैं राजन मिश्र साजन मिश्र की । शास्‍त्रीयता की चरम ऊंचाई । दिव्‍य और अप्रतिम । सुनिए ।

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रेडियोवाणी की ओर से सभी को एक बार फिर शुभ दीपावली !

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3 टिप्‍पणियां:

ज्ञानदत्त पाण्डेय | Gyandutt Pandey November 10, 2007 at 3:24 PM  

बहुत -बहुत धन्यवाद यूनुस! सवेरे सवेरे लाइफ बना दी। वह भी तीन अलग गायकों की आवाज में।
बहुत सुन्दर!!!

परमजीत बाली November 10, 2007 at 6:20 PM  

बहुत बढिया!आनंद आ गया।धन्यवाद।

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संगीत का ब्‍लॉग । मुख्‍य-रूप से हिंदी-संगीत । संगीत दिलों को जोड़ता है । संगीत की कोई सरहद नहीं होती ।

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