Tuesday, January 29, 2008

कादंबरी फिल्‍म का अमृता प्रीतम का लिखा गीत--अंबर की एक पाक सुराही

रेडियोवाणी पर इच्‍छा तो ये होती है कि हर रोज़ एक नया गीत सुनवाया जाए । लेकिन ये मुमकिन नहीं । और ना ही ये प्रैक्टिकल है । क्‍योंकि किसी गीत को ज़ेहन में उतारने में वक्‍त लगता है । उस गाने के साथ 'तादात्‍मय' बनाने या अपने मन को ट्यून करने में वाक़ई वक्‍त लगता है । सुना हुआ गाना तो जे़हन पर अपनी छाप बना लेता है पर अनसुना गाना अपने लिए समय की मांग करता है । इसलिए हम रेडियोवाणी पर रोज़ नहीं आते और ना ही रोज़ आने की तमन्‍ना रखते हैं ।

आज जो गीत सुनवाया जा रहा है--वो अपनी एक मित्र की गुज़ारिश पर है । लेकिन सच तो ये है कि इसे मैं काफी दिनों से सुनवाना चाह रहा था । आपको बता दूं कि इसे मैंने विविध भारती में आने से पहले सुन रखा था पर खोजबीन में असफल रहा था और मेरे संग्रह में ये गीत नहीं था । पर अब है, इस गाने को अमृता प्रीतम ने लिखा है । अमृता प्रीतम की लेखनी में एक अलग तरह की संवदेनशीलता है । एक बात कहना चाहता हूं अगर इसे अन्‍यथा ना लिया जाए । महिलाओं की लेखनी में एक ख़ास तरह की भावनात्‍मक ऊंचाई होती है । पुरूष चाहें भी तो उस संवेदनशीलता को नहीं छू सकते । अमृता प्रीतम का लेखन मुझे बार-बार इस बात की याद दिलाता है ।

सन 1974 में एक फिल्‍म आई थी 'कादंबरी' । इस फिल्‍म में अमृता का ये गीत लिया गया था । इसे स्‍वरबद्ध किया था उस्‍ताद विलायत ख़ां साहब ने । आशा भोसले ने ये गीत गाया था ।

ये गाना गिटार की तरंगों से शुरू होता है फिर आशा जी आलाप है । जिसमें एक ख़ास लहराहट है । हां याद आया इस गाने में गिटार बजाया है मशहूर गायक भूपिंदर सिंह ने । जो लंबे अरसे तक फिल्‍म संसार में गिटारिस्‍ट रहे हैं । मैंने ग़ौर किया है कि जब शास्‍त्रीय संगीत की दुनिया की मशहूर हस्तियां फिल्‍म में संगीत देती हैं तो अपने साथ शास्‍त्रीयता के संस्‍कार तो लेकर आती हैं, पर उनकी धुनों में एक अदभुत सादगी होती है । जबकि लोग उम्‍मीद करते हैं कि वो ठेठ शास्‍त्रीयता लेकर आएं । उस्‍ताद विलायत खां साहब सितारवादक हैं । लेकिन इस गाने में ज्‍यादा सितार नहीं है । बल्कि बांसुरी की गहन तान है । और अगर सुनने वाला इस गाने की सीढि़यां उतरकर खुद को भिगो पाए तभी वो इस गहन तान की विकलता को समझ पाता है ।  शानदार इंटरल्‍यूड वाला गाना है ये । किस तरह से गिटार को बाकी साज़ों के साथ संयोजित किया गया है सुनिएगा । आशाजी की प्रतिभा खूब निखर कर सामने आती है इस गाने में ।

और ज़रा लेखनी पर भी कुछ बातें । अंबर की पाक सुराही और बादल का जाम । ऐसे रूपक कि दिन सार्थक सा लगने लगे । और फिर घूंट चांदनी पीना । उम्र की सूली सीना । कुछ कठिन शब्‍दों के अर्थ बता दिये जाएं सहूलियत के लिए । कुफ्र यानी प्रतिबंधित बात, पाप । अंग्रेजी में कहें तो Impiety. रोज़े अज़ल का अर्थ है जीवन की शुरूआत । अंग्रेजी में शायद आप उस अर्थ तक पहुंच सकें--Eternity, Without Beginning. आखिरी दो पंक्तियां आध्‍यात्मिकता की परम ऊंचाई हैं । सुनिए और डूब जाईये ।

 

 

अंबर की एक पाक सुराही बादल का एक जाम उठाकर 

घूंट चांदनी पी है हमने बात कुफ्र की..की है हमने ।

कैसे इसका क़र्ज़ चुकाएं, मांग के अपनी मौत के हाथों

उम्र की सूली सी है हमने बात कुफ्र की..की है हमने ।

अंबर की एक पाक सुराही ।।

अपना इसमें कुछ भी नहीं है, रोज़े-अज़ल से उसकी अमानत

उसको वही तो दी है हमने बात कुफ्र की.. की है हमने

 

अब sms के ज़रिए पाईये ताज़ा पोस्‍ट की जानकारी

16 टिप्‍पणियां:

mamta January 29, 2008 at 5:55 PM  

गाना पसंद आया ।
अरे यूनुस भाई ये क्या आप ऐसा क्यों कह रहे है। हम लोग तो रोज रेडियो वाणी को देखने और सुनने की तमन्ना रखते है।

Rajendra,  January 29, 2008 at 6:14 PM  

आज तो सुबह सुबह आनंद कर दिया आपने मेरा अति प्रिय गीत सुना कर. आप यकीन नहीं करेंगे तब का सुना गीत आज तक जेहन में तैरता रहता है. उसके बोल आज भी याद् हैं. आपने उसे फिर सुना कर मुझे तो उपकृत किया है. शुक्रिया भाई यूनुस.

पंकज सुबीर January 29, 2008 at 6:16 PM  

मैं कई दिनों से इस गाने को सुनना चाह रहा था आपका उपकार है जो आपने सुनवा दिया है । मेरे पास कई गीत है पर ये गीत नहीं था। क्‍य आप मुझ पर एक उपकार करते हुए फिल्‍म हरी दर्शन के गीत सारे सुनवा सकते हैं जिसमें अपना हरी है हजार हाथ्‍ज्ञ वाला और नारासण नारायण्‍ हरी हरी जैसे गती हों

annapurna January 29, 2008 at 6:21 PM  

शुक्रिया ! शुक्रिया !! शिक्रिया !!!

बहुत अच्छा गीत है। अब एक और फ़रमाइश पूरी कर दीजिए - फ़िल्म मैं तुलसी तेरे आंगन की से अमीर ख़ुसरो की रचना जिसे आवाज़े दी है लता उअर आशा ने -

छाप तिलक झब छीनी मोसे नैना मिलाएके

Parul January 29, 2008 at 7:21 PM  

shaastriya sangeet se jude funkaaron ke baarey me aapki baat aksharshah sahi hai..ab Shiv Hari ko hi suniye...kitni saadi aur khuubsurat dhuney di hain unhoney....KAADAMBARI ke is geet ke to kahney hi kya,zabardast combination hai...lyrics,avaaz aur sangeet ka...bahut shukriyaa...sunvaaney ka

Manish Kumar January 29, 2008 at 7:31 PM  

mera priya geet hai ye.. sunvane ka shukriya !

कंचन सिंह चौहान January 29, 2008 at 10:15 PM  

शुक्रिया युनुस जी..तह-ए-दिल से शुक्रिया...कम से कम २ साल से तो सुनना ही चाह रही थी ये गीत..जब से रसीदी टिकट मे पढ़ा था कि इमरोज़ से मिलने के बाद साथ रहने के उनके फैसले पर हो रहे फिकरों को सुन कर उनके मन मे ये गीत उभरा था..और बाद मे उसे कादम्बरी मे थोड़े उलट फेर के बाद चुना गया..! अमृता जी की बहुत बड़ी फैन हूँ मैं..!

ज्ञानदत्त पाण्डेय | Gyandutt Pandey January 30, 2008 at 2:18 AM  

गीत सुना। बहुत अच्छा लगा। रसीदी टिकट पास में है। लगता है पढ़ ही लिया जाये।
धन्यवाद।

Anonymous,  January 30, 2008 at 2:25 AM  

गीत मित्र की तरफ़ से स्वीकारें आभार और पसंद का गीत सुनवाने का अरब.. शंख.. धन्यवाद ।

PIYUSH MEHTA-SURAT January 30, 2008 at 3:19 AM  

श्री युनूसजी,
यह गाना तो बहोत ही मीठा है और मैने विविध भारतीसे ही अपने संग्रहमें लिया है । पर मेरे पास आप जितनी व्योवरा देने के लिये शब्द-भंडोल नहीं है । पर आपने गज़ल गायक भूपीन्दर सिन्ह के गिटार का इस गीत में होने का जिक्र किया है तो मैं उनके एक फिल्मी धूनों के एल पी रेकोर्ड का जिक्र किये बिना नहीं रह सका जो उन्होंने पोलिडोर या बादमें बनी म्यूझिक इन्डिया से प्रस्तूत किया है, जिसमें ४ धूनें स्पेनिश गिटार पर, चार धूने हवाईन गिटार पर और एक धून रबाब पर है, उस रबाब वाली धून फिल्म काबूलीवाला के गीत ’एय मेरे प्यारे वतन’ की है जिस असली गीतमें भी सलिलदाने रबाब ही बजवाया है । इस्में से स्पेनिश गिटार वाली और रबाब वाली धूने मेरे अपने संग्रहमें है । पर विविध भारती के पास शायद यह एल पी नहीं है, या होने पर भी कभी सुनाया नहीं है । अगर उद्दघोषणा के बिना भी यह सुनाया होता और मेरे सुनने में आया होता तो मैं तूर्त ही पहचान जाता ।
आनेवाली २ फरवारी को प्रसिद्ध पियनो और सोलोवोक्स वादक, जिन्होंने मंच कार्यक्रमोंमें एकोर्डियन भी समय समय पर बजाया है, वैसे श्री केरशी मिस्त्री साहब की साल गिराह है । रेडियोवाणी की और से उनको बधाई । जन्म साल १९२० है ।
विविध भारती तो उनको याद करने वाली नहीं ही है , पर इस ब्लोग पर आप उनके संगीतसे सजा स्व. गीता दत्तजी और बी. कमलेश कूमारी नाम से गाने वाली कु. जालू भेसानियाजी का गाया हुआ गीत जो फिल्म वीर बालक से है, ’सोना सोना क्या करते हो’ आप प्रस्तूत करें । अगर इस वक्त नहीं तो बादमें भी कभी सुनायें । विविध भारती से यह गीत गीत अतीत और यादों के झरोखेसे कार्यक्रममें बजता था पर कभी कभी ही । मैंने इसी गीत की फरमाईश शी कमल शर्माजी के हल्लो फरमाईश कार्यक्रममें मांगा था । पर उस कार्यक्रमकी निर्मात्री डो. उषा गुजरातीजीने मेरे फोन को निकम्मा किया था (जूलाई-२००७) और इसके बाद मेरा फोन एक भी बार लगा ही नहीं । इस तरह एक तरफ विविध भारतीने मेरी स्वर्ण स्मृति कार्यक्रममें फोन-मुलाकात प्रस्तूत करके मूझे सन्मान दिया ( जिसमें भी मैंने इसी गीत को मांगा था पर वह सुनाया नहीं गया था ।) तब दूसरी और इस सालमें मेरी एक भी फरमाईश फोन इन में फोन लगने पर भी सुनाई नहीं गयी । हाँ, आपके छाया गीत की बात और है ।
पियुष महेता ।
सुरत-३९५००१.

जोशिम January 30, 2008 at 8:08 AM  

अभी समझ में आता है कि कितना कम सुन रखा है / था - rgds- मनीष

सागर नाहर January 30, 2008 at 7:41 PM  

मन प्रसन्न हुआ.. आप भी कहां कहां से निकाल कर ले आते हैं ऐसे खूबसूरत और अनमोल गीत?

bezubaan hilsa January 31, 2008 at 7:12 AM  

is geet ko kai baras se sun na chahti thee. shukriya talash poori karne ka. likhe huye me umr ki sooli ki jagah umr ki choli kar dijiye.
phir se shukriya.

रजनी भार्गव January 31, 2008 at 8:29 AM  

बहुत दिनों बाद सुना, शुक्रिया सुनवाने के लिये.

Anonymous,  February 1, 2008 at 1:09 AM  

i have seen your web page its interesting and informative.
I really like the content you provide in the web page.
But you can do more with your web page spice up your page, don't stop providing the simple page you can provide more features like forums, polls, CMS,contact forms and many more features.
Convert your blog "yourname.blogspot.com" to www.yourname.com completely free.
free Blog services provide only simple blogs but we can provide free website for you where you can provide multiple services or features rather than only simple blog.
Become proud owner of the own site and have your presence in the cyber space.
we provide you free website+ free web hosting + list of your choice of scripts like(blog scripts,CMS scripts, forums scripts and may scripts) all the above services are absolutely free.
The list of services we provide are

1. Complete free services no hidden cost
2. Free websites like www.YourName.com
3. Multiple free websites also provided
4. Free webspace of1000 Mb / 1 Gb
5. Unlimited email ids for your website like (info@yoursite.com, contact@yoursite.com)
6. PHP 4.x
7. MYSQL (Unlimited databases)
8. Unlimited Bandwidth
9. Hundreds of Free scripts to install in your website (like Blog scripts, Forum scripts and many CMS scripts)
10. We install extra scripts on request
11. Hundreds of free templates to select
12. Technical support by email

Please visit our website for more details www.HyperWebEnable.com and www.HyperWebEnable.com/freewebsite.php

Please contact us for more information.


Sincerely,

HyperWebEnable team
info@HyperWebEnable.com

स्वप्नदर्शी February 2, 2008 at 10:16 AM  

आपका बडा शुक्रिया.....

Post a Comment

परिचय

संगीत का ब्‍लॉग । मुख्‍य-रूप से हिंदी-संगीत । संगीत दिलों को जोड़ता है । संगीत की कोई सरहद नहीं होती ।

Blog Archive

ब्‍लॉगवाणी

www.blogvani.com

  © Blogger templates Psi by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP