Saturday, March 22, 2008

मोरे कान्‍हा जो आये पलटके, अबके होली मैं खेलूंगी डटके: सरदारी बेगम फिल्‍म का गीत । आरती अंकलीकर ।

रेडियोवाणी पर मेरी ओर से आप सभी को होली की शुभकामनाएं । होली पर मैं आपको कोई ऐसा गीत नहीं सुनवाना चाहता था जो दिन भर कहीं और से आपको सुनाई देता रहे । संयोग देखिए कि अलग तरह के गीतों के लिए पिछले कुछ महीनों से रेडियोवाणी पर हमें बार बार वनराज भाटिया की ओर लौटना पड़ रहा है । इस बार फिर वनराज भाटिया के संगीत की शरण में जाकर रेडियोवाणी आपके लिए गुलाल भेज रहा है ।

ये सरदारी बेगम फिल्‍म का गीत है । जो सन 1996 में आई थी । दरअसल ये श्‍याम बेनेगल की एक फिल्‍म-त्रयी यानी triology का हिस्‍सा है । मम्‍मो, सरदारी बेगम और ज़ुबेदा ये तीनों इस फिल्‍म-त्रयी का हिस्‍सा हैं । जिन्‍हें विख्‍यात फिल्‍म-समीक्षक ख़ालिद मोहम्‍मद ने लिखा था ।

.... की जो उन्‍होंने अगर जोरा-जोरी छीनी पिचकारी बैंया मरोरी गारी मैंने रखी हैं रटके ।।

दिलचस्‍प बात ये है कि इन तीनों फिल्‍मों में कुछ दृश्‍य और स्थितियां एक जैसी हैं । अगर आपने ये तीनों फिल्‍में नहीं देखी हैं या देखी भी हैं तो भी एक बार फिर से देखिए और एक के बाद एक देखिए । बहरहाल एक बार फिर चलते हैं होली गीत की ओर । सरदारी बेगम के गीत लिखे थे जावेद अख्‍़तर ने । इस गाने को फिल्‍म में होली-गीत के तौर पर नहीं फिल्‍माया गया । बल्कि सरदारी बेगम इसे मंच पर गाती हैं ।

इस गाने के दो संस्‍करण हैं । एक आशा भोसले वाला और दूसरा आरती अंकलीकर वाला । मुझे दूसरा संस्‍करण ज्‍यादा पसंद है इसलिए होली के मौक़े पर आईये इस गाने के ज़रिए रसवर्षा में सराबोर हो जाया जाए ।

मोरे कान्‍हा जो आए पलट के

अब होरी मैं खेलूंगी डट के ।। gulaal

उनके पीछे मैं चुपके से जाके

ये गुलाल अपने तन से लगाके

रंग दूंगी उन्‍हें भी लिपटके ।।

मोरे कान्‍हा ।।

की जो उन्‍होंने अगर जोरा-जोरी

छीनी पिचकारी बैंया मरोरी

गारी मैंने रखी हैं रटके ।।

मोरे कान्‍हा ।।

 

अब sms के ज़रिए पाईये ताज़ा पोस्‍ट की जानकारी

13 टिप्‍पणियां:

ज्ञानदत्त पाण्डेय | Gyandutt Pandey March 22, 2008 at 5:00 PM  

बहुत सुन्दर समयिक गीत और चित्र में तो रंग की पूरी दुकान है हम पर फैंकने को!
भैया रंग से बहुत ड़र लगता है!
आपको और आपके परिवार को होली मुबारक!

Anonymous,  March 22, 2008 at 5:37 PM  

क्या बात है यूनुस जी ! बहुत ज़ोरदार गीत आपने सुनवाया और यह चित्र में क्या ममता जी भेष बना कर बैठी है ?

ख़ैर… आप दोनों को होली मुबारक !
सस्नेस
अन्नपूर्णा

मीत March 22, 2008 at 5:53 PM  

वाह वाह यूनुस भाई. ये हुई न बात. छा गए हैं गुरुदेव. इसी तरह के गीतों की तो तलाश रहती है. और ख़ास तौर पे आज - होली पर ये होली ... वाह ! होली पर शुभकामनाएं.

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल March 22, 2008 at 5:57 PM  

यूनुस भाई,
हमारी दुनिया को इतना खूबसूरत बनाने के लिए आपका आभार कैसे व्यक्त करूं? सरदारी बेगम का यह गीत सुनवाकर आपने होली को और भी रसपूर्ण बना दिया है. लाख लाख शुक्रिया.

अनूप शुक्ल March 22, 2008 at 6:49 PM  

इत्ती तैयारी देखकर कान्हा के अच्छे-अच्छे न आयेंगे पलट के। अच्छा गीत सुनवाया। :)

कंचन सिंह चौहान March 22, 2008 at 8:34 PM  

आप दिनभर गुनगुनाने की बात कर रहे हैं यूनुस जी...! हम तो आपके ब्लॉग पर आने के पहले से ही यानी सुबह से ही ये गीत गुनगुना रहे है...! अब डाउनलोड भी कर लिया...! धन्यवाद

सुनीता शानू March 22, 2008 at 9:32 PM  

बेहतरीन गीत के लिये धन्यवाद...

आपको होली बहुत-बहुत मुबारक हो...

नितिन व्यास March 22, 2008 at 11:58 PM  

अमेरिका में होली की सुबह हुई है, मुझे पूरी उम्मीद थी कि आपने जरुर कोई बेहतरीन होली गीत बजाया होगा। ये गीत सुनवाकर आपने होली को और रंगीन बना दिया!

आप सबको होली की शुभकामनायें।

PD March 23, 2008 at 1:00 AM  

होली की सुभकामनाऐं.. :)

खु़शबू,  March 23, 2008 at 1:52 AM  

यूनुस, सचमुच आरती अंकलीकर वाला version ज़्यादा अच्छा है। त्यौहारी शुभेच्छा आपको और ममता को भी।

सागर नाहर March 23, 2008 at 2:46 AM  

यूनुसजी आपको और सभी पाठकों को होली की शुभकामनायें।
होली गीत पता नहीं क्यों नये हों या पुराने सभी अच्छे लगते हैं यह भी बहुत अच्छा लगा।
मैने भी दो होली गीत अपनी पोस्ट में चढ़ाने का निश्चय किया परन्तु लाईफलोगर और ईस्निप्स दोनों ही ने कॉपीराईट का मामला बता कर अपलोड करने से मना कर दिया। :(
जानते हैं वे गीत कौन कौनसे हैं?
पहला तो था डारो रे रंग डारो रे रसिया फागुनके दिन आये रे और दूसरा था बाट चलत नई चुनरी रंग डारी.. दोनॊं ही गीता रॉय के गाये हुए।

Udan Tashtari March 23, 2008 at 3:39 AM  

रेडियोनामा की पूरी टीम और आपको होली बहुत-बहुत मुबारक.

Manish Kumar March 27, 2008 at 4:41 AM  

खैर ये गीत तो मैंने आपके छाया गीत में उस दिन सुन ही लिया था .। वैसे सरदारी बेगम की कैसेट भी अपने पास है। अपनी एक अलग ही पहचान लिये है ये होली गीत।

Post a Comment

परिचय

संगीत का ब्‍लॉग । मुख्‍य-रूप से हिंदी-संगीत । संगीत दिलों को जोड़ता है । संगीत की कोई सरहद नहीं होती ।

Blog Archive

ब्‍लॉगवाणी

www.blogvani.com

  © Blogger templates Psi by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP