Monday, March 31, 2008

रचनाकार और रेडियोवाणी की जुगलबंदी : भूपेन हजारिका की जीवनी और गीतों की महफिल

रवि रतलामी हमारे ब्‍लॉग गुरू हैं । हम उन्‍हीं के ज़रिए चिट्ठाजगत में आए हैं । इन दिनों रचनाकार पर रवि रतलामी इन दिनों भूपेन हजारिका की जीवनी का हिंदी अनुवाद प्रकाशित कर रहे हैं ।

भूपेन हजारिका हमारे प्रिय कलाकार हैं । रेडियोवाणी पर पहले भी उनकी चर्चा की जा चुकी है । उनके गीत रेडियोवाणी पर एक छोटी सी श्रृंखला के रूप में चढ़ाए जा चुके हैं । जिसे आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं । बहरहाल मुद्दा ये है कि जब रवि भाई भूपेन दा के जीवन के अनछुए पहलुओं से अवगत कराएंगे तो भूपेन हजारिका की आवाज़ भी तो होनी चाहिए । तकनीकी रूप से जीवनी के साथ गीत लगाना ज़रा ठीक नहीं लगेगा । इसलिए पेश है रेडियोवाणी और रचनाकार की रचनात्‍मक जुगलबंदी । रचनाकार पर पढि़ये भूपेन हजारिका की सिलसिलेवार आत्‍मकथा और रेडियोवाणी पर सुनिए भूपेनदा के गाये तमाम भाषाओं के गीत । 

शुरूआत एक अजीब गीत से ।leadbelly2

ये भूपेन हजारिका का गाया एक अंग्रेज़ी गीत है । भूपेन दा कहते हैं कि इसे पॉल रॉब्‍सन ने गाया था । पर मुझे पॉल रॉब्‍सन वाला संस्‍करण मिल नहीं रहा है । इंटरनेट पर मुझे पता चला कि इसे Huddie Ledbetter ने भी गाया था । इसे मेरी अज्ञानता ही कह लीजिए कि ये गीत पहले नहीं सुना है । इसलिए इस बारे में संशय बरक़रार है । हडी लेडबेटर को संगीत की दुनिया  “LeadBelly” के नाम से जानती है । वे American folk and blues musician माने जाते हैं । अश्‍वेत गायक “LeadBelly”  का जन्‍म जनवरी 1888 में मूरिंगस्‍पोर्ट लूसियाना में हुआ था । लेडबेली का उपनाम जेल में उनकी कडियल काया की वजह से पड़ा था । लेडबेटर क्‍यों जेल गये और उन्‍होंने कितनी बीहड़ जिंदगी ली ये जानना बेहद दिलचस्‍प है । इसलिए लेडबेटर के नाम के साथ दी गयी हायपरलिंक खोलें और विकीपीडिया पर उनके बारे में विस्‍तार से पढें । यहां भी पढ़ें ।

वैसे भूपेन दा ने पॉल रॉब्‍सन के गीत 'ओल मैन रिवर' से प्रेरणा लेकर अपना मशहूर गीत 'गंगा बहती हो क्‍यों' बनाया था ।

मुझे नहीं पता कि भूपेन हजारिका ने ये गीत क्‍यों गाया और कब गाया । लेकिन ई स्निप्‍स पर जब ये गी

त हाथ लगा तो अच्‍छा लगा । अगर आप कोशिश करें तो आपको इसका मूल संस्‍करण भी इंटरनेट पर मिल सकता है । इसलिए इच्‍छा हो तो मशक्‍कत कीजिएगा । वरना बताईयेगा हम हैं ना । गाना बड़ा ही अच्‍छा लिखा गया है । कहीं से जुगाड़ के हम अंग्रेज़ी बोल भी उपलब्‍ध करा रहे हैं ।

बहरहाल रवि भाई....आप भी सुनिए और हमारे साथ सारा संसार सुने--भूपेन हजारिका के गाये कुछ अनमोल गीत ।

इस पोस्‍ट के ज़रिए रायपुर में आवारा बंजारा- संजीत को एक वादा याद दिलाया जा रहा है । कों ख़ां याद आया ।

 

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We’re in the same boat brother,

We’re in the same boat brother,

And if you shake one end,

You gonna rock the other

It’s the same boat brother

The Lord looked down from his holy place

Said lordy me me, what a sea of space

What a spot to launch the human race

So he built him a boat for a mixed-up crew,

With eyes of Black and Brown and Blue.

So that’s how’s come that you and I Got just one world and just one sky.

We’re in the same boat brother,

We’re in the same boat brother,

And if you shake one end,

You gonna rock the other

It’s the same boat brother Through storm and grief,

Hit many a rock and many a reef,

What keep them going was a great belief.

So they had to learn to navigate.

That the human race was a special freight

If they didn’t want to be in Jonah’s shoes,

Better be mated on this here cruise.—Why—

We’re in the same boat brother,

We’re in the same boat brother,

And if you shake one end,

You gonna rock the other

It’s the same boat brother

So the boiler blew, somewhere in Spain,

All the kettle was smashed and 40 cranes.

Steam boat out from the Oregon Main.

Oh, it took some time for the crew to learn

What is bad for the bow ain’t good for the stern.

If a fire took place in China today

Pearl Harbor just gonna blaze away.

We’re in the same boat brother,

We’re in the same boat brother,

And if you shake one end,

You gonna rock the other

It’s the same boat brother

आईये भूपेन दा को एक स्‍टेज प्रोग्राम में ये गीत गाते हुए भी देख लिया जाये । उनके साथ हैं प्रतिमा पांडे । साथ में बांयी ओर हैं पंकज दत्‍ता । इस वीडियो में भूपेन दा इस गीत का बांगला अनुवाद गा रहे हैं ।

अब sms के ज़रिए पाईये ताज़ा पोस्‍ट की जानकारी

15 टिप्‍पणियां:

अनूप शुक्ल March 31, 2008 at 3:38 PM  

सुन्दर, शानदार नाव!

Pramod Singh March 31, 2008 at 4:43 PM  

भई, हमारे कंपू पे तो ये ससुरी ई स्निप्‍स खुलती नहीं (पहले खुलती थी).. सच्‍ची में.. कसरत अच्‍छी..

Udan Tashtari March 31, 2008 at 5:56 PM  

ये जुगलबंदी बेहतरीन रही, वाह!!

annapurna March 31, 2008 at 6:32 PM  

अच्छी जुगलबन्दी है। इसका ख़्याल पहले किसे आया आपको या रवि भाई को ?

Sanjeet Tripathi March 31, 2008 at 10:36 PM  

अमां खां, शुकराना क़बूल फरमाएं याद दिलाने के लिए!
मुआफी के साथ!

आज ही "मैं और मेरा साया" अपलोड कर लिंक आपको ई मेल करता हूं!!

mamta March 31, 2008 at 11:52 PM  

बढ़िया जुगलबंदी।
ये तो आम के आम और गुठलियों के दाम वाली बात हो गई। :)

Raviratlami April 1, 2008 at 12:57 AM  

अन्नपूर्णा जी, जुगलबंदी का खयाल अपने गीत संगीत में आकंठ डूबे यूनुस भाई का ही पहला था. यूनूस भाई को ऐसे नायाब विचार को मूर्त रूप देने पर धन्यवाद.

ज्ञानदत्त पाण्डेय | Gyandutt Pandey April 1, 2008 at 3:25 AM  

भूपेन हजारिका - शायद चीन यात्रा से लौटे सज्जन को भी अब पसन्द आयें।

Sanjeet Tripathi April 1, 2008 at 5:01 AM  

लीजिए हाजिर है!!
जिन मित्रों को भूपेन हजारिका का "मै और मेरा साया" अल्बम डाऊनलोड करना हो वे यहां से डाऊनलोड कर सकते हैं।
फ़ाईल करीब 90 एम बी की है, मुफ्तिया साईट पर अपलोड की गई है इसलिए कुछ दिनों के बाद अपने आप ही डिलिट हो जाएगी उससे पहले ही डाउनलोड कर लें!!
धन्यवाद!

anitakumar April 1, 2008 at 5:49 AM  

भूपेन हजारिका को अंग्रेजी में गाते पहली बार सुना है। इस्निप हमारे पी सी पर भी नहीं खुला।

sanjay patel April 1, 2008 at 7:48 AM  

युनूस भाई पॉल राब्सन वाला गीत भूपेन दा ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान सुना था. इस बारे में उन्होने लता अलंकरण मिलने पर खुलासा किया था कि वे अमेरिका में इंटरनेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामेटिक्स के न्योते पर गए थे और वहाँ ये गीत उन्होने सुना था. बल्कि राब्सन से उनकी मुलाक़ात भी हुई थी. मेरे पास कहीं उस कार्यक्रम की वीडियो है हो सका तो वह अंश एक सीडी में डालकर आपको भेजूँगा.इंशा अल्लाह. !.

Vijendra S Vij April 1, 2008 at 5:25 PM  

badhiyaa jugalbandee lagee.

yunus April 1, 2008 at 7:24 PM  

कुछ मित्रों को ई स्निप्‍स पर समस्‍या आई । ई स्निप्‍स आजकल नखरैलू हो गया है । अगली कडियों में दूसरे प्‍लेयर से बजाएंगे । हौसलाअफ़ज़ाई का शुक्रिया ।

vimal verma April 1, 2008 at 9:51 PM  

मित्र इस जुगलबन्दी के क्या कहने,मैं अपने ऑफ़िस में हूँ ईस्निप मेरे ऑफ़िस में खुलता नहीं है,पर बेहतर प्रस्तुति के लिये शुक्रिया..

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संगीत का ब्‍लॉग । मुख्‍य-रूप से हिंदी-संगीत । संगीत दिलों को जोड़ता है । संगीत की कोई सरहद नहीं होती ।

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