तू स्वपन गो फान्याचेम: गोआ का एक और गीत- हेमंत कुमार
रेडियोवाणी पर मैंने आपको अपनी एक पोस्ट में पिछले दिनों गोआ का एक गीत हेमंत कुमार की आवाज़ में सुनवाया था । कुछ गीत ऐसे होते हैं जिनके अर्थ ना भी समझ में आएं तब भी वो हमारे दिलों में उतर जाते हैं । आप सभी ने बताया कि धुन अच्छी लगी । हालांकि बोल समझ में नहीं आए । मेरे कुछ मित्र हैं जो कोंकण से हैं । कोशिश रहेगी कि उनसे इन गीतों का अनुवाद करवा दिया जाये । बहरहाल । हेमंत कुमार और हेलेन डी. क्रूज़ की आवाज़ें और इस बार फिर एक कोंकणी गीत ।
जो आपको बारिश के इस मौसम में गोआ ले जायेगा । दो वर्ष पहले हम बारिश में गोआ निकल लिये थे । तरंगित व्यक्ति हैं । कुछ भरोसा नहीं कब मन कर जाए और हम बारिश की पिनक में चल पड़ें गोआ की ओर ।
मुंबई से गोआ इतना नज़दीक है कि सात माले की हमारी इमारत की छत से दिखता है । सही कहा ना ।
तो चलिए फिलहाल छत से गोआ को देखते हैं और गोआइन गीत का आनंद लेते हैं । इस गाने के बोल मुझे कोंकणी संगीत को समर्पित एक ब्लॉग से मिल गए । वो भी हाजिर हैं । एक बार फिर बता दें कि आवाज़ें हेमंत कुमार और हेलेन डी क्रूज़ की हैं ।
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2 टिप्पणियां:
इस सुमधुर गीत को सुनवाने के लिये शुक्रिया.....
युनुस जी एक बार फ़िर से शुक्रिया । यहां तो बारिश हो रही है और बारिश मे ये गीत मजा दे रहा है।
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