Friday, November 28, 2008

ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में नफ़रत क्‍यों है जंग है क्‍यों: 1947 earth

                      blood_spatter

ये किसका लहू है कौन मरा
ऐ रहबर मुल्‍क़ो-क़ौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा ।।

ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में नफ़रत क्‍यों है जंग है क्‍यों
तेरा दिल तो इतना बड़ा है इंसां का दिल तंग है क्‍यों
क़दम-क़दम पर सरहद क्‍यों है सारी ज़मीं तो तेरी है
सूरज के फेरे करती है, फिर क्‍यों इतनी अंधेरी है
इस दुनिया के दामन पर इंसां के लहू का रंग है क्‍यों
ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में ।।
गूंज रही हैं कितनी चीख़ें, प्‍यार की बातें कौन सुने
टूट रहे हैं कितने सपने इनके टुकड़े कौन चुने
दिल के दरवाज़ों पर ताले, तालों पर ये ज़ंग है क्‍यों
ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में ।।

दीपा मेहता की फिल्‍म '1947 Earth' का गीत ।
गीत: जावेद अख्तर
संगीत: ए.आर.रहमान

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11 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार छौक्कर November 28, 2008 at 4:56 PM  

क्या कहे। दिल रोता है इंसानो का खून ऐसे निकलते हुए।

कंचन सिंह चौहान November 28, 2008 at 6:11 PM  

har zuba.n par ek hi baat Yunus Ji..ki aisa kyo.n hai...????

Neeraj Rohilla November 28, 2008 at 6:30 PM  

युनुस भाई,
दिल बहुत दुखी है, हजारो मील दूर रहते हुये भी लगता है कि जैसे किसी न दिल पे नश्तर मार दिया हो । कल का पूरा दिन/रात इंटरनेट पर नजर गडाये बीता, आज कहने को तो अमेरिका का बहुत बडा त्योहार Thanksgiving है लेकिन अपने दिल में मातम मना हुआ है ।

आज तुम कुछ भी न पूछो कि दिल उदास बहुत है ।

दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi November 28, 2008 at 6:31 PM  

हम हारते हैं तो अपनी कमजोरी से
हम जीतते हैं तो अपनी मजबूती से
हम मजबूत बनें और जीतें।

सागर नाहर November 28, 2008 at 10:28 PM  

रुला कर ही चैन पड़ा ना!
बड़ी मुश्किल से तो कल से अपने आप को रोने से रोका हुआ था।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` November 29, 2008 at 2:22 AM  

कौन सच्चा कौन झूठा ?
माहब नहीँ सिखाता,
आपस मेँ बैर रखना,
अमन कैसे हो ?
जब इतनी नफरत है ?
एक दूसरे के लिये -

UPASICON November 29, 2008 at 9:01 PM  

ईश्वर या अल्लाह नहीं देने वाले कोई भी जवाब !

कहा भले ही जाए कि इन्सान को ईश्वर या अल्लाह ने बनाया है, लेकिन सच्चाई यही है कि ईश्वर या अल्लाह को भी हम इन्सानों ने ही गढा़ है...अपनी हर मुसीबत में सच्चाई से भागने और मदद की गुहार लगाने के लिये ।

जवाब हमें ही देना होगा ।

- वही

anitakumar November 30, 2008 at 12:10 AM  

आज ये सवाल हर भारतवासी के मन में है, हम सब के ख्यालों को आवाज देने का शुक्रिया।

safat alam November 30, 2008 at 1:46 AM  

हे अल्लाह तू इन आतंकवादियों से अपनी धरती खाली कर दे

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संगीत का ब्‍लॉग । मुख्‍य-रूप से हिंदी-संगीत । संगीत दिलों को जोड़ता है । संगीत की कोई सरहद नहीं होती ।

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