यहां हर शख्स हर पल हादसा होने से डरता है: राजेश रेड्डी की ग़ज़ल, पंकज उधास की आवाज़ । जन्मदिन पर विशेष
सत्रह मई को पंकज उधास का जन्मदिन था ।
मैंने रेडियोवाणी पर पहले भी उस दौर का जिक्र किया है जब ग़ज़ल अपने उरूज ( चरम ) पर हुआ करती थी । और तमाम बेहतरीन कलाकार अपने उम्दा अलबमों के साथ हाजिर हुआ करते थे । चाहने वालों की कोई कमी नहीं थी । कंसर्टों की बहार आई हुई थी । कई बार एकल कंसर्ट होते और कई बार कई कई कलाकार ग़ज़ल के मंच पर एक साथ पेश होते । मुझे ऐसा लगता है कि चूंकि उस दौर में फिल्मों में संगीत के नाम पर कचरा पेश किया जा रहा था शायद इसलिए ज़माना ग़ज़लों की मिठास में पनाह लेता था । जैसे ही फिल्मों का संगीत सुधरा और मेलडी की वापसी हुई, ग़ज़लों का सुनहरा दौर खत्म हो गया और अब हम उसे विकलता से याद करते हैं । आज आपको जो ग़ज़ल सुनवाई जा रही है, उसका ताल्लुक उसी सुनहरे दौर से है । पंकज उधास की आवाज़ मुझे पसंद है, लेकिन उनकी गाई कुछ चुनिंदा चीज़ें ही हैं जो मेरे दिल के क़रीब हैं । मेरा मानना है कि उनकी आवाज़ का सही इस्तेमाल नहीं हो सका है । शायद उन्होंने भी नहीं किया । शायद बाज़ार के दबाव रहे होंगे ।
बहरहाल....इस ग़ज़ल के शायर हैं राजेश रेड्डी । राजेश रेड्डी विविध भारती परिवार का हिस्सा रह चुके हैं । कई बरस तक वो विविध भारती में बतौर केंद्र निदेशक पदस्थ थे । उनके साथ काम करने और महफिल जमाने का अपना अलग ही मज़ा रहा है । मुंबई शहर पर उनके लिखे एक शेर का जिक्र मैं अकसर करता हूं ।
इस शहर को आती हैं सैंकड़ों पगडंडियां
यहां से बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं ।।
राजेश रेड्डी का ग़ज़ल-संग्रह उड़ान वाणी प्रकाशन से छपा है । उनकी रचनाएं पंकज उधास, जगजीत सिंह, रूप कुमार राठौड़ सहित कई नामी कलाकारों ने गाई हैं । पंकज उधास को जन्मदिन की बधाई देते हुए राजेश रेड्डी की इस ग़ज़ल को सुना जाए । जो हमारी इनसिक्यूरिटीज़ का सबसे बेबाक बयान है । ये ग़ज़ल पंकज उधास के अलबम 'नबील' का हिस्सा है ।
इसे सुनने का दूसरा तरीक़ा ।
यहां हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है ।।
मेरे दिल के किसी कोने में इक मासूम-सा बच्चा
बड़ों की देखकर दुनिया बड़ा होने से डरता है ।।
न बस में जिंदगी इसके ना क़ाबू मौत पर इसका
मगर इंसान फिर भी कब ख़ुदा होने से डरता है ।।
अजब ये जिंदगी की क़ैद है दुनिया का हर इंसां
रिहाई मांगता है और रिहा होने से डरता है ।।
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6 टिप्पणियां:
Very nice song. Pankaj & Manhar both Udhas brothers have a soft voice.
Thanks Yunusbhai.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
अच्छा याद दिलाया। राजेश रेड्डी की किताब ढ़ेर में से फिर खोज निकालें। बहुत चाव से बहुत बार पढ़ा है राजेश रेड्डी को। और यह गजल भी बार-बार पढ़ी है।
पहली बार सुनी... अच्छी ग़ज़ल.
सही कहा आपने उस दौर के बारे में। लोग वाहियात संगीत से उबे हुए थे। राजेश रेड्डी की कई खूबसूरत गज़लें जगजीत की आवाज में सुनी हैं। इस ग़ज़ल के अशआर भी लाजवाब है।
राजेश रेड्डी की ग़ज़लों के अलावा उनके देश भक्ति गीत सवेरे वन्दनवार के समापन पर होने वाले देशगान में सुने पर यह आज पहली बार पता चला कि वो विविध भारती के निदेशक थे।
shayad 1993 ya 94 me suni thi ye gazal..... aur life ki philosophy jinse banti hai un gazalo.n me ye aaj bhi darz hai
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