सो जा राजकुमारी सो जा: कुंदनलाल सहगल और लता की अलग अलग आवाज़ें ।
रेडियोवाणी पर आज हम कुंदनलाल सहगल का गाया एक बेमिसाल गीत लेकर हाजिर हुए हैं । जाने क्यों सहगल का ये गीत बहुत दिनों से मन में गूंज रहा था । मुझे लोरियों से ख़ास प्यार रहा है । फिल्म संसार की कुछ लोरियां मेरे दिल के काफी क़रीब हैं । जिनकी चर्चा फिर कभी की जाएगी ।
फिलहाल तो इस लोरी की बात की जाए । सन 1940 में एक फिल्म आई थी 'जिंदगी' । न्यू थियेटर्स कलकत्ता की इस फिल्म के कलाकार थे आशालता, ब्रिकम कपूर, जमुना, निम्मो और above all कुंदनलाल सहगल । प्रमथेश चंद्र बरूआ इस फिल्म के निर्देशक थे । इस गाने को केदार शर्मा ने लिखा और पंकज मलिक ने इसकी धुन बनाई ।
इस गाने में एक दिव्य-सांगीतिक-सौंदर्य है । लोरियां ऐसी ही होनी चाहिए, ज़रा सोचिए कि आज से अड़सठ साल पहले बना ये गीत अब तक हमारे बीच है और लोकप्रिय है । ये कितनी बड़ी बात है । इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि आज के ज़माने का कोई गीत क्या अड़सठ साल बाद उतने ही चाव से सुना जा सकेगा । मुझे तो शक है ।
तो आईये ढलती शाम के इन सायों में जीवन के तनावों और दबावों से छुटकारा पाने के लिए खुद को इस गाने की तरंगों पर आज़ाद छोड़ दें । और एक दिव्य सुकून का अहसास करें । तीन मिनिट सात सेकेन्ड का एक स्वर्गिक अनुभव ।
सो जा राजकुमारी सो जा ।
सो जा मैं बलिहारी सो जा ।।
सो जा मीठे सपने आएं,
सपनों में पी दरस दिखाएं
उड़कर रूपनगर में जायें ।
रूपनगर की सखियां आयें
राजाजी माला पहनायें
चूमे मांग तिहारी सो जा ।
सो जा राजकुमारी सो जा ।
लता मंगेशकर ने इस गाने को अपनी श्रृंखला श्रद्धांजली में शामिल किया था और गाया भी था । यूट्यूब पर मुझे इसका ऑडियो मिला है । इसे भी सुनिए
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12 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर गीत है। सुन नहीं पाई। ठीक से बजा नहीं। थोड़ा रूक-रूक कर चल रहा है।
शोभा जी आपके कनेक्शन की समस्या हो सकती है । ये गाना इत्ता छोटा है कि आसानी से स्ट्रीम हो जाता है । पुन: प्रयास करें ।
सुन पाये यह दिव्य गीत, आभार.
Yunusbhai
One of the memorable songs of Saigal saab.
Didi is equally good.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
मेरे पास कम्पयूटर पर कुंदनलाल सहगल वाला वर्शन मौजूद है और कार के कैसेट कलेक्शन में लता जी वाला। और कल रात ही कार में उसे भरपूर सुना भी। मुझे पोडकास्टिंग नहीं आती वर्ना उसे अपलोड कर सकता था। हाँ एमपी थ्री फाइल आपको जरुर मेल कर सकता हूँ।
बहुत सुन्दर।
बहुत नॉस्टैल्जिक होता है मेरे लिये इस गीत को सुनना यूनुस भाई. मैं तो कभी-कभी खु़द को सुलाने तक के लिये इसे सुनता हूं.
आपके ख़ज़ाने का मुरीद हूं. और क्या!
सहगल साहब के अपन भी बहुत बड़े प्रशंषक हैं, बस मजा आगया सुन कर, रोजाना सुनता हूँ पर हर बार अलग ही आनन्द देता है यह गीत।
वैसे एक राजे का बेटा... और फिल्म माई सिस्टर का छुपो ना छुपो ना ...के बारे में आपका क्या कहना है?
दरअसल मैँ ठिक ठाक गा लेता हूँ..के .एल सहगल पर तो पूरा नियंत्रण बना रखा है ..एक बंगला बने न्यारा...दुख के अब दिन बीतत नही ..ए काश की तकदीर मुझे इतना बता दे ...और दोस्त सो जा राजकुमारी की तो बात ही निराली..सुनकर इससे हो जाता मन मस्तिस्क में हरियाली..रात को कितना भी टेंशन क्यूं ना हो ये गाना सुला देगा ..युनूस भाइ खूब पटेगी आप की और मेरी ..visit us on (confusionhai.blogspot.com)
यूनुस जी, बहुत बहुत शुक्रिया. एक पसंदीदा गीत दो महान कलाकारों के स्वर में. बहुत अच्छा लगा.
बहुत सुंदर.
युनूस भाई,
बेहतरीन गीत सुनवानाया - शुक्रियाहमने तो सहगल साहब और लतादी दोनोँ के लिन्क एक साथ सुने ..तो मज़ा आ गया!
- लावण्या
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