Monday, June 9, 2008

हेमंत कुमार की आवाज़ में गोआ का लोकगीत

कुछ दिनों पहले इंटरनेट की गलियों में घुमक्‍कड़ी करते हुए कुछ कोंकणी और गोआइन गीत मिल गये । जब हेमंत कुमार की आवाज़ सुनाई दी तो ज़रा आश्‍चर्य हुआ कि दादा ने कितनी भाषाओं में गाया है । फिर पीछे से रफ़ी साहब भी सुनाई दे गये एक गाने में । मुझे अच्‍छा लगा । तो लीजिए पेश है हेमंत कुमार की आवाज़ में एक गोआइन गीत ।

                       goa-folk-dance

ना तो मुझे इस गाने के बोल समझ आए और ना ही आशय । प्‍यार मुहब्‍बत का गाना लगता है । अरे कोई है गोआ में जो मदद करे ।

फिलहाल आपकी नज़र--जूलियाना ।।

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9 टिप्‍पणियां:

annapurna June 9, 2008 at 5:46 PM  

बाँबी का गाना ना माँगू सोना चाँदी और द ग्रेट गैम्बलर का युगलगीत - इन दोनों गानों के शुरू में भी गोआई गीत के कुछ बोल थे वे भी मुझे आज तक पता नहीं चले।

mamta June 9, 2008 at 5:55 PM  

वाह युनुस भाई हेमंत कुमार की आवाज मे गोअन गाना सुनकर मजा आ गया। धन्यवाद।
वैसे ये धुन यहां पर बहुत पोपुलर है।
थोड़ा-थोड़ा तो कोंकणी हम समझने लगे है पर पूरी तरह से नही।

मीत June 9, 2008 at 6:56 PM  

ग़ज़ब. मस्त है भाई साहब. मज़ा आ गया. करते रहें घुमक्कडी इंटरनेट की और हमें मस्त करते रहें.

ज्ञानदत्त पाण्डेय | Gyandutt Pandey June 9, 2008 at 8:22 PM  

आवाज मधुर लगी। शब्द समझ नहीं आये।

रंजना [रंजू भाटिया] June 9, 2008 at 8:35 PM  

बहुत सुंदर धुन और आवाज़ तो है ही ..बाकी लफ़ज़ तो समझ नही आए

Udan Tashtari June 10, 2008 at 2:59 AM  

अभी अभी ममता जी के यहाँ गोवा के विषय में पढ़्कर आ रहे हैं तो यहाँ उसका संगीत-बिना कुछ समझे ही मजा आया.

sanjay patel June 10, 2008 at 3:22 AM  

यूनुस भाई ये हमारे पार्श्वगायक तलफ़्फ़ुज़ को क्या बढिया निभाते थे.लोक-संगीत में पूरा खेल सही अंदाज़ और शब्दों की अदायगी का है. अब इन्हीं हेमंत दा को पं.ह्रदयनाथ मंगेशकर के निर्देशन में कोली गीत में सुनिये..मी डोलकर , डोलकर , डोककर दरिया चा राज़ा (राजा नहीं ; चा भी चा नहीं नुक़्ता लगा हो वैसा चा)तीन मिनट के गीत में उस्तादी का हुनर बिखेरने वाले इन गुलूकारों को मेरा आपका हम सबका सलाम.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` June 10, 2008 at 7:54 AM  

हेमँतदा तो कोई सा भी गीत गायेँ
हमेँ पसँद आता है :)
शुक्रिया
इसे सुनवाया आपने ...
- लावण्या

Ashok Pande June 11, 2008 at 2:57 AM  

शुक्रिया. इतना मीठा गाया गया है कि अब अर्थ समझ में आये तो भी ठीक, न आये तो भी ठीक. शुक्रिया यूनुस भाई!

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संगीत का ब्‍लॉग । मुख्‍य-रूप से हिंदी-संगीत । संगीत दिलों को जोड़ता है । संगीत की कोई सरहद नहीं होती ।

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