'कह रही है जिंदगी जी सके तो जी'-'फिर भी चला जाये दूर का राही'-संगीत की दुनिया के एक संत को सलाम ।
रेडियोवाणी पर आज हम हेमंत दा को याद कर रहे हैं । कल हेमंत दा की बरसी थी । और ये कोई आम दिन नहीं था । हेमंत दा के चाहने वालों के लिए ये दिन था एक बार फिर लोभान की भीनी खुश्बू जैसी हेमंत दा की आवाज़ से गुज़रने का । कल किसी वजह से हम हेमंत दा को याद नहीं कर पाए, इस क़सर को आज हम पूरा कर रहे हैं ।
रेडियोवाणी पर हम हेमंत दा को बार बार याद करते रहे हैं । हमें हेमंत दा संगीत-जगत की सबसे पवित्र और सबसे आध्यात्मिक आवाज़ लगते हैं । शायद आपको पता हो कि हेमंत दा शिव-शंभु की नगरी बनारस में पैदा हुए । नवकेतन की फिल्म 'मुनीमजी' में उन्होंने शिव जी की बारात 'पालकी सजाइये भभूती लगाइके शिवजी बिहाने चले' गाकर बनारस के हक़ को अदा कर दिया था । सुनने वाले आज तक हैरत करते हैं कि इतना बढिया उच्चारण्ा और बनारसी अदा की इत्ती अच्छी अदायगी आखिर कैसे आई होगी हेमंत कुमार मुखर्जी को
हेमंत कुमार की प्रतिभा के दो पहलू हैं । चूंकि वो गायक थे और मुख्य-रूप से उन्होंने गायन ही किया इसलिए आम श्रोताओं का ध्यान उनके संगीतकार वाले पक्ष की ओर नहीं जाता है ।
लेकिन ज़रा इस सूची पर ध्यान दीजिये ।
फिल्म आनंद मठ-
वंदे मातरम् और जय जगदीश हरे ।
फिल्म अनुपमा-
या दिल की सुनो दुनिया वालो/ कुछ दिल ने कहा/ क्यूं मुझे इतनी खुशी दे दी कि घबराता है दिल ।
फिल्म बीस साल बाद
कहीं दीप जले कहीं दिल / सपने सुहाने लड़कपन के /ज़रा नज़रों से कह दो
जी / बेक़रार करके हमें यूं ना जाईये ।
फिल्म दो दूनी चार-
हवाओं पे लिख दो हवाओं के नाम
फिल्म गर्ल फ्रैन्ड-
क़श्ती का ख़ामोश सफर/ आज रोना पड़ा तो समझे ।
फिल्म ख़ामोशी-
हमने देखी है उन आंखों की महकती खुश्बू / तुम पुकार लो तुम्हारा इंतज़ार है
फिल्म कोहरा-
ये नयन डरे डरे / ओ बेक़रार दिल / राह बनी खुद मंजिल
फिल्म-नागिन-
जादूगर सैंया / मन डोले / जिंदगी के देने वाले
फिल्म-साहिब बीवी और गुलाम-
भंवरा बड़ा नादान/ मेरी बात रही मेरे मन में / पिया ऐसो जिया में समाय गयो रे / ना जाओ सैंया
हम चाहें तो इस सूची को और और लंबा कर सकते हैं । ये सिर्फ झलक है मशहूर फिल्मों और गानों की, जिन्हें हेमंत दा ने स्वरबद्ध किया था । वो हेमंत दा ही थे जिन्होंने संगीतकार रवि को अपने सहायक होने के बाजवूद स्वतंत्र रूप से संगीत देने को प्रेरित किया और उनके लिए नई ज़मीन तैयार की । खुद संगीतकार और गायक होते हुए भी उन्होंने मौक़ा पड़ने पर अपने से मिलती जुलती आवाज़ वाले बंगाली गायक सुबीर सेन को मौक़ा दिया । कोई इनसिक्युरिटी कॉम्पलैक्स नहीं था हेमंत दा में । वो संगीत की दुनिया के संत थे । ( चित्र साभार- सुर-ताल ) इसके अलावा एक और बात का जिक्र जिस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता । हेमंत दा ने 1959 के आसपास अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया था और सबसे पहले जो फिल्म बनाई वो थी मृणाल सेन निर्देशित 'नील आकाशेर नीचे' । जिसमें काली बैनर्जी और मंजू डे ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं । इस फिल्म ने राष्ट्रपति का स्वर्ण-पदक जीता था । फिर उन्होंने बीस साल बाद, कोहरा, फरार, राहगीर, खामोशी, बीवी और मकान जैसी फिल्मों का निर्माण किया । अगर मुझे सही याद आ रहा है तो जानी-मानी अभिनेत्री मौसमी चैटर्जी हेमंत कुमार की बहू हैं । आईये आज रेडियो वाणी पर हेमंत दा के दो अनमोल गाने सुने जायें । सुने-गुनें-बुनें-डूबें-उतरायें-इठलायें और इतरायें । ये दोनों गाने एक जीवन-दर्शन को प्रस्तुत करते हैं । 'कह रही है जिंदगी जी सके तो जी' जलती निशान फिल्म का गीत है । क़मर जलालाबादी ने इसे लिखा है और इसे स्वरबद्ध किया है दादा अनिल बिस्वास ने । इस गाने में कोरस का अद्भुत खेल है । जिस पर आपका ध्यान ज़रूर जायेगा । यूं लगता है जैसे कोई यायावर ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर पीठ पर अपनी पोटरी लटकाये चला जा रहा है और मस्ती में गाए जा रहा है । कह रही है जिंदगी जी सके तो जी
एक जाम प्यार का पी सके तो पी
जाम ये उसी का है जो आगे बढ़कर थाम ले
इंतज़ार किसलिए जाम उठा जाम ले
आसमां के हाथ से छीन ले खुशी ।
हुस्न है खामोश क्यों, इश्क़ बेक़रार है
सामने बिठा के तुझको, तेरा इंतज़ार है
शोखियों की फुलझड़ी कुछ इधर भी ।।
कह रही है जिंदगी जी सके तो जी ।।
दूसरा गाना है दूर का राही फिल्म का । इस गाने को हम पहले भी रेडियोवाणी पर सुनवा चुके हैं पर दिक्कत ये हुई कि कुछ दिनों बाद वो प्लेयर नाकाम हो गया । इसलिए दोबारा यहां उस गाने को पेश किया जा रहा है । ये भी जिंदगी की यायावरी का गाना है । फिल्म दूर का राही । गीतकार इरशाद । संगीतकार किशोर कुमार । और आवाज़ हेमंत कुमार । क्या बढि़या कॉम्बिनेशन है । वैसे इसका उलट कॉम्बिनेशन भी कमाल है । हेमंत कुमार ने बतौर संगीतकार किशोर से बड़े अच्छे गाने गवाए हैं ।
चलती चली जाए जीवन की डगर
मंजि़ल की उसे कुछ भी ना ख़बर
फिर भी चला जाए दूर का राही ।।
मुड़ के ना देखे, कुछ भी ना बोले
भेद अपने दिल का राही ना खोले
आया कहां से, किस देश का है
कोई ना जाने, क्या ढूंढता है
मंजिल की उसे कुछ भी ख़बर
फिर भी चला जाए दूर का राही ।।
झलके ना कुछ भी, आशा-निराशा
क्या कोई समझे, नैनों की भाषा
चेहरा कि जैसे, कोई सफ़ा है * सफा: पन्ना
किस्मत ने जिस पर कुछ ना लिखा है
मंजिल की उसे कुछ भी ख़बर
फिर भी चला जाए दूर का राही ।।
रेडियोवाणी हेमंत कुमार की स्मृति को नमन करता है ।
कल के लिए एक ज़रूरी ऐलान । कल स्वर-कोकिला लता मंगेशकर का अस्सीवां जन्मदिन है । इसलिए रेडियोवाणी पर कल आपको सुनवाया जायेगा इस ख़ाकसार का लिया हुआ लता जी का एक टेलीफोनिक इंटरव्यू, जिसमें उनके गानों से ज्यादा बातें दूसरी चीजों पर हुई हैं ।
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6 टिप्पणियां:
सुंदर ... बहुत सही कहा युमुस भाई .......
हेमंत कुमार बतौर संगीतकार भी कमाल थे .....
क्यूं मुझे इतनी खुशी दे दी कि घबराता है दिल, सपने सुहाने लड़कपन के, हवाओं पे लिख दो हवाओं के नाम, क़श्ती का ख़ामोश सफर ............. क्या क्या गाने याद दिला दिए आप ने ... गज़ब.
aavazon ke bhi chehrey hotey hain..so post ka title bilkul uchit hai...pehla geet sun nahi paa rahi huun/dusra pasand ka hai khuub.....
अत्यंत सुंदर प्रस्तुती
बिल्कुल सही कहा. हेमंत दा की आवाज किसी संत का सा असर रखती है. एक गजब की ईमानदारी इस आवाज में झलकती है. बतौर संगीतकार भी हेमंत कुमार के हम मुरीद हैं. ये सारे गीत जो आपने गिनाये उनकी प्रतिभा की झलक देते हैं. एक से बढ़कर एक गीत हैं इन फिल्मों के.
और मौसमी चटर्जी की बात हुई तो मुझे याद आ रहा है शायद हेमंत दा की बिटिया हैं रानू मुखर्जी जिन्होंने 'नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए' गीत गाया था.
गीत तो शानदार हैं ही, बाकी जानकारी भी बड़ी रोचक रही. बेहतरीन पोस्ट बनी है ये. अब कल के लता के इंटरव्यू का इन्तजार है.
आपने हेमंत दा को याद कर ऐसे सुरीले दरवेश की याद दिला दी जो चित्रपट संगीत की चमकीली दुनिया का सबसे भद्र नुमाइंदा था. बंगाल की सरज़मीन मे जिस तरह की तहज़ीबी तबियत का पता मिलता है हेमंत दा उस पर खरे उतरते थे. पंकज मलिक,हेमंतकुमार और मन्ना डे इन तीनों गुलूकारों की याद जब भी ज़हन में आती है तो लगता है ऐसे लोग ही तो मूसीकी का नाज़ुक काम अंजाम दे सकते हैं.दादा को प्रणाम.
बहुत खूब.... शानदार प्रस्तुति, हेमंत दा की बात ही निराली हैा
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